मेरे एक मित्र हैं जकी अहमद जो हमारे कार्यालय के पास ही रहते हैं। एक दिन मिलने आए बोले मेरी बच्चे बड़े हो गए हैं बेटा 12th और बेटी 10th में आ गए हैं, मकान में एक ही कमरा है जिसे दो मंज़िल बनवाना चाहता हूँ। मैंने कहा दिक्कत क्या है बनवाइए। वह बोले मेरे provident account में 3.5 लाख रुपए जमा हैं और अगर मैं मकान बनवाता हूँ तो 20000/- रु प्रति मंज़िल पुलिस को ही रिश्वत देना पड़ेगा। मेरे पास मकान के लिए 1.5 रु लाख कम हैं और 60000/- रु पुलिस लेगी तो ऐसे में मकान बनवाना मुश्किल होगा। मैंने कहा अगर आप रिश्वत नहीं देना चाहते तो पुलिस को रिश्वत देने से मना कर दीजिए। जकी बोले कि अगर एक पुलिस वाला हो तो कोई नहीं पर दिन भर तो पुलिस वालों का तांता लगा रहता है। कभी beat से, कभी थाने से, कभी PCR वाले हर पुलिस वाले की अलग अलग धमकी कितनों को मना करूँगा और कब तक। ऊपर से ज़्यादातर मैं अपने दफ्तर रहूँगा मेरी पत्नी मना करना तो दूर वह डर से बात भी नहीं कर पाएगी। मैंने कहा कि एक काम करो पुलिस वालों को रंगे हाथों गिरफ्तार करवा दो कोई पुलिस वाला आँख उठा कर भी नहीं देखेगा। जकी बोले मैं ऐसा नहीं करना चाहता जिससे कि किसी के बीवी बच्चे की हाय लगेगी।
तो मैंने कहा ठीक है फिर एक काम करो एक बड़ा बैनर बनवाओ जिस पर लिखो “रिश्वत लेना देना अपराध है इसलिए कृप्या रिश्वत न मांगें।“ और बैनर को अपने घर के सामने लटका दो। मुझे मालूम नहीं कि क्या होगा पर विश्वास है कि जो भी नतीजा निकलेगा वह अच्छा ही होगा। अगले ही दिन उन्होने एक बड़ा बैनर अपने घर के आगे लगा दिया। फिर क्या था गली में चर्चा, मोहल्ले में चर्चा और फिर नई सीमा पुरी में जकी का मकान चर्चा में आ गया जितनें लोग उतनी बातें। जकी रोज़ शाम को मिलते और उस दिन गली के लोगों के बीच हुई गुफ़्त्गु के बारे में बताते। पुलिस के लोग आए दूर से मकान और मकान के सामने लगे बैनर को देख कर चले जाते। दो महीने तक जकी का मकान बनाता रहा किसी की मजाल जो आ कर रिश्वत माँगे आज जकी का मकान बिना रिश्वत दिये बनकर तैयार ही चुका है।
जकी की इस कहानी को पढ़ने के बाद अब तय आप को करना है की भ्रष्टाचार को खतम करने के लिए आप पहल करना चाहेंगे या चाय की चुसकियों के साथ भ्रष्टाचारक को कोसते हुये जीवन गुजार देंगे?
-राजीव कुमार