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Friday 9 January 2015

दिल्ली की पुनर्वासित बस्तियों में रह रहे लोग सरकार के रहमों करम पर

शहर के सौंदर्यीकरण या विस्तार के नाम पर सरकार जब झुग्गी झोपड़ी को तोड़ कर कहीं अन्य जगह पर बसाती है तो उस बस्ती को पुनर्वासित बस्ती कहा जाता है। दिल्ली में आज़ादी के बाद से अब तक त्रिलोकपुरी, कल्याणपुरी, सीमापुरी, नन्द नगरी, दक्षिणपुरी, जहांगीरपुरी, नांगलोई, सुल्तानपुरी, बवाना, भलसवा, हस्तसाल जैसी 77 बस्तियों में सरकार ने लोगों को पुनर्वासित किया है। जिसमें लगभग 40 लाख लोग निवास करते हैं।

दिल्ली की पुनर्वासित बस्तियों में रह रहे लोग सरकार के रहमों करम पर हैं क्योंकि इन्हें सरकार ने उस जमीन पर मालिकाना हक़ नहीं दिया है। लोगों के लगातार मालिकाना हक़ के माँग के चलते सन 2013 में दिल्ली सरकार एक स्कीम लेकर आई जिसके तहत सरकार ने पहली बार कुछ शर्तों के साथ सिर्फ 45 बस्तियों में रहने वाले लोगों को ही मालिकाना हक़ देने की बात कही। इस स्कीम में सरकार ने मालिकाना हक़ लेने के लिए लगभग 50,000/- रु से लेकर 23 लाख रु का शुल्क मांगा। ये सरकार की सोची समझी रणनीति थी कि इन बस्तियों में रहने वाले लोग कभी भी मालिकाना हक़ न ले पाए क्योंकि इतनी भारी रकम कोई भी पुनर्वासित बस्ती में रहने वाले लोग नहीं दे सकते हैं, नतीजा यह रहा कि स्कीम के लागू होने के एक साल बाद भी पूरी दिल्ली में सिर्फ 6 लोग इस स्कीम के तहत मालिकाना हक़ ले पाये।

चुनाव नजदीक है इस बात को ध्यान में रखते हुए पारदर्शिता ने इन क्षेत्रों में काम कर रहे संगठनों के साथ इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (IIC), नई दिल्ली में 24 दिसम्बर 2014 को एक मीटिंग आयोजित किया। इस मीटिंग में BJP, Congress और AAP के विधायकों को भी आमंत्रित किया गया था। इन सभी पार्टी के लोगों ने आने का वादा भी किया। लेकिन अंतिम समय में BJP और Congress के विधायकों ने चुनावी व्यस्तता का बहाना बनाकर मीटिंग में आने से माना कर दिया।

AAP के वरिष्ठ नेता श्री मनीष सिसोदिया ने इस मीटिंग में अपनी उपस्थिती दर्ज़ की और कहा कि दिल्ली के पुनर्वासित बस्ती के साथ- साथ हमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगो के संदर्भ में भी सोचने कि जरूरत है इसलिए यदि पुनर्वासित बस्ती के साथ-साथ झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के साथ विचार-विमर्श करके एक कार्यनीति तैयार कि जाये तो आम आदमी पार्टी न केवल उसे अपने Vision Document में जगह देगी बल्कि यदि AAP की सरकार आई तो आते ही उसे तुरंत लागू करेगी।

कार्यक्रम के दौरान सभी संगठन के साथियों ने मिलकर एक कमेटी का गठन किया जो विभिन्न बस्तियों में लोगों के साथ विचार-विमर्श कर तथा सरकार के इस स्कीम व स्लम पॉलिसी का अध्ययन कर सभी साथी पुनः 21 जनवरी 2015 को साथ में बैठेंगे और इस मुद्दे पर एक ठोस कार्यनीति तैयार की जाएगी।








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